दोस्तों "सफल उद्योगों की गाईड` इस मेरी किताब में आज के आधुनिक समाज के लिए अत्यंत आवश्यक लघुउद्योग, गृहोपयोगी उद्योग, आधुनिक उद्योग, सेवा उद्योग, अन्न-प्रक्रिया उद्योग, खेती-बाडी से संबंधित उद्योग, ऐसे अनेक उद्योगों तथा व्यवसायों की जितनी संभव है उतनी विस्तार से जानकारी देने की कोशिश की है। आज दुनिया बदल चुकी है। आधुनिकता नें तो देहातों में भी (गाँवो में भी) प्रवेश कर लिया है। कंप्युटर तकनीकी जैसा तंत्रज्ञान आज भारतीयों नें भी अच्छी तरह से प्राप्त किया है। आज शिक्षा का प्रचार-प्रसार होने के कारण देश की अधिकतर जनसंख्या साक्षर बन चुकी है। लेकिन नौकरी को एक सामाजिक दर्जा (प्रतिष्ठा) होने के कारण पढ़ा-लिखा, सुशिक्षित युवकवर्ग नौकरी के पीछे लगा है। वैसे देखा जाए तो हमारी शिक्षा पद्धति भी कुछ मात्रा में नौकरीभिमुख हो गई है। कौन-सी नौकरी करनी है यह तय करके ही विशिष्ट कोर्स को प्रवेश लिया जाता है। परिणामतः एक विशिष्ट कोर्स की उपाधि प्राप्त करनेवालें बडी मात्रा में बेरोजगार रहने लगें हैं। शिक्षा से मिले ज्ञान का उपयोग करके वे कोई एक उद्योग-व्यवसाय कर सकते है। खुद के रोजगार के साथ- साथ समाज के लिए भी नौकरी-रोजगार के अवसर निर्माण कर सकते हैं। लेकिन आज के युवकों को यह ध्यान में आने के बावजूद भी उनका उद्योग-व्यवसायों की ओर जाने का प्रमाण कम है। इसका कारण नौकरी को समाज ने ही एक दर्जा दिया है। हर एक को ही नौकरी पाना संभव नहीं है। क्योंकि नौकरी के लिए इच्छुक उम्मिदवारों की अपेक्षा रोजगारों की नवनिर्मिती कम होती है। इसी कारण बहुत से लोग `नौकरी ही करेंगे` इस इच्छा के कारण बेरोजगार रहने लगते है। आज हजारों बेरोजगार लोग दयनिय जीवन जी रहे हैं, यह आज के समाज की वास्तविकता है।
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